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यादों के फूल…

अस्तित्व विचारशील होने का अहसास
अस्तित्व विचारशील होने का अहसास
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तू समझती क्यों नहीं, पूरी दुनिया से लड़ता-भिड़ता रहता हूँ, बस तेरे ही सामने घुटनों के बल होता हूँ। – आखिरकार उसने बहुत हताशा में भर कर लड़की से कहा था। लड़की ने उसके सिर पर हाथ घुमा कर उसके बालों को बिखेर दिया और मुस्कुरा दी। वो जानती तो है, लेकिन मानती नहीं है। लड़की को उसका तू कहना बहुत भाता है, उसे लगता है जैसे वो उस लड़के का ही विस्तार है… जब कभी लड़का गुस्से में उसे तुम कहता है तो उसे लगता है कि लड़के ने उसे काट दिया है खुद से…।
लड़की बिना वजह लड़ती रहती है… ये लड़के को लगता है, लेकिन लड़की को लगता है कि हमेशा वही वजह होता है झगड़े की… वो तो कितनी लीस्ट डिमांडिग है… उसकी तो कोई डिमांड ही नहीं है। बस हर वक्त मुस्कुराते रहो इतना ही तो चाहती है, लेकिन लड़का हर वक्त झगड़ता है, कभी कुछ तो कभी कुछ। फिर जब उसे गुस्सा आता है तो वो इतना कुछ कहता है कि लड़की एकदम चुप हो जाती है। दोनों दो सिरों पर हैं एक बेहद गुस्सैल और दूसरी बेहद संवेदनशील…। बस हर दिन एक डर के साथ शुरू होता है, पता नहीं आज किस बात पर झगड़ेंगे दोनों… झगड़ते हैं, लेकिन रहते भी साथ ही हैं।
लड़का कहता है तुम्हारे साथ मैं हर जगह यादों के बीज डाल देना चाहता हूँ। जब कभी हम या फिर तुम मेरे बिना इन जगहों पर आओ तो तुम्हें यादों के फूल खिले हुए नजर आए, तभी तो लायब्रेरी की सीढ़ियों पर हग करता है और फ्लैट की लिफ्ट को बीच में रोककर स्मूच…। दोस्तों के बीच आँखें बचाकर कमर में चिकोटी काट देता है तो मम्मी-पापा के सामने दुस्साहस करते हुए आय लव यू कह जाता है। कैंपस में पगडंडियों पर उसे उठा लेता है… कभी कैंटीन में गिरे उसके रूमाल को चूम लेता है तो कभी उसके छोड़े कॉफी मग को उसी तरफ से सिप करता है, जहाँ से लड़की ने किया था।
वो लड़की से बार-बार पूछता है ‘शादी करेगी मुझसे!’ और लड़की हर बार मुस्कुरा देती है। एक रात लड़की को ये सपना आता है कि वो उससे बहुत डरते हुए पूछ रही है ‘शादी करेगा मुझसे!’ सपना सुनकर लड़का बहुत देर तक खिलखिलाता है और फिर उसे बाँहों में लेकर चूम लेता है।

आज पता नहीं लड़के को कैसा फील हो रहा है, लड़की की रिसर्च की एप्लीकेशन मंजूर हो गई है और उसे रिसर्च के लिए यूके जाना है। लड़का उदास भी है और खुश भी। वो जानता है कि लड़की कुछ करना चाहती है, लेकिन वो ये नहीं जान पाता है कि लड़की गहरी दुविधा में है। वो लड़के से कहती है, – मैं सोचती हूँ कि रिसर्च का विचार ही मुझे छोड़ देना चाहिए। लेकिन लड़का जानता है, उसके सपने हैं, महत्वाकांक्षा है। लड़का कहता है उससे – ‘मैं तुम्हें प्यार करता हूँ तुम्हारे जीवन में हर्डल नहीं बनूँगा, तुम्हारे जीवन का आकाश बना रहूँगा…, जिसमें तुम्हें उड़ने की पूरी सुविधा होगी।’
लड़की चिढ़ाती है – ‘यदि भटक गई तो…!’
लड़का कहता है – ‘भटक कर कहाँ जाओगी… अपने आकाश में ही रहोगी।’
लड़की की आँखें भर आती है। वो तय करती है कि अपने आकाश को निराश नहीं करेगी, उड़ती रहेगी उसमें ही ताउम्र। देर रात तक दोनों सेलिब्रेट करते हैं और पार्टी मनाते हैं, लड़की कहती है उसे थोड़ी-सी ‘पीनी’ है। लड़का हँसता है, ठीक है आज तू पी… मैं तुझे संभालूँगा। वो नहीं पीता, इसलिए नहीं कि वो पीने के बाद लड़की को नहीं संभाल सकता है, बल्कि इसलिए कि पीने के बाद लड़की के सामने भावुक न हो जाए।

लड़की के जाने के दिन जैसे-जैसे करीब आ रहे थे, लड़के की उदासी बढ़ने लग गई थी। जाने के एक दिन पहले लड़की उससे मिलना चाहती थी, उसे हग करना चाहती थी। दिन भर वो उसे फोन लगाती रही मैसेज करती रही लेकिन लड़के का फोन या तो बंद मिला या फिर उसने उठाया ही नहीं। उसने लड़की के मैसेज का भी जवाब नहीं दिया। लड़की दिन भर रूआँसी-रूआँसी रही। उसकी यादों की संदूक पर उपेक्षा का ताला मुँह चिढ़ाता रहा। उसे एक भयानक खयाल आया – ‘ये प्लेन क्रेश हो जाए और वो मर जाए तो उसे ये जरूर महसूस होगा कि जाने वाले की ऐसी उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए।’
फिर खुद ही शर्मिंदा हुई, कि ये वो क्या सोच रही है!

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