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उम्र की नोटबुक… !

अस्तित्व विचारशील होने का अहसास
अस्तित्व विचारशील होने का अहसास
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साफ शफ्फ़ाफ़
कोरे-करारे सफ़ों की
नोटबुक-सी है उम्र

हर पन्ने पर
जिंदगी करती चलती है
हिसाब

सुख-दुख, झूठ-सच
सही-गलत, मान-अपमान
नैतिक-अनैतिक, सफलता-असफलता
और ना जाने किस-किस चीज का

लिखती जाती है सफ़ों-पर-सफ़े
करती जाती है खत्म
उम्र को जैसे

और भरी हुई नोटबुक
एक दिन
अख्तियार कर लेती है
शक्ल रद्दी की…

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